वैसे तो हर दिन ही पैरेंट्स का होता है, लेकिन किसी एक दिन को किसी ख़ास के नाम कर देना और फिर उसे पूरे जोश के साथ मनाने में जो मज़ा है, उसकी बात ही अलग है। तो आज फादर्स डे के मौके पर क्यों न आपको इस दिन से जुड़ी कुछ ख़ास बात बतायी जाए। सबसे पहले आपको बताती हूं कि आखिर फादर्स डे मनाते क्यों हैं?
फादर्स डे की कहानी
फादर्स डे आखिर क्यों मनाते हैं, इसके पीछे दो कहानियां हैं। पहली कहानी अमेरिका के वेस्ट वर्जिनिया से, जहां 5 जुलाई 1908 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। बताया जाता है कि 6 दिसंबर 1907 को मोनोगोह की एक खान में दुर्घटना हुई जिसमें 210 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद ग्रेस गोल्डन क्लेटन ने एक ख़ास दिन का आयोजन किया। लेकिन इस दिन का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है, जिसकी वजह से सोनोरा की कोशिशों को ही फादर्स डे मनाने की वजह माना जाता है।
वहीं दूसरी कहानी सोनोरा स्मार्ट डॉड की है। सोनोरा के जन्म के साथ ही उनकी मां की मौत हो गई थी, जिसके बाद उनके पिता विलियम जैक्सन स्मार्ट ने ही उनकी परवरिश की। एक बार सोनोरा चर्च में मदर्स डे का उपदेश सुन रही थी। इसी दौरान उन्हें अहसास हुआ कि मां के लिए अगर ख़ास दिन है तो फिर पिता के लिए क्यों नहीं। इसके बाद उन्होंने कोशिशें शुरु की और 19 जून 1909 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। इसके बाद हर साल जून के तीसरे हफ्ते के रविवार को फादर्स डे मनाया जाने लगा। वैसे दुनिया के कुछ देशों में अलग अलग तारीखों को भी फादर्स डे मनाया जाता है।
एक पिता ऐसा भी
मौका फादर्स डे का है तो क्यों न आपको एक ऐसे पिता की कहानी सुनाई जाए जिसे ‘विश्व की सर्वश्रेष्ठ मम्मी’ के पुरस्कार से 8 मार्च यानी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन सम्मानित किया गया। अब आप जानना चाहते होंगे कि आखिर ये हैं कौन, तो आपको बता दें कि ये हैं भारत के सबसे कम उम्र के पापा, जो पुणे में रहते हैं और नाम है आदित्य तिवारी। इन्होंने 22 महीने के अवनीश को गोद लिया। यहां आपको एक और ख़ास बात बता दूं कि अवनीश के दिल में दो छेद होने और उसके डाउन सिंड्रोम से पीड़ित होने की वजह से उसे जन्म देने वाले माता पिता ने अपनाने से इंकार कर दिया था। लेकिन आदित्य जी ने तय किया कि वे इस बच्चे को गोद लेंगे। अवनीश की परवरिश में कोई कमी न हो इसके लिए उन्होंने अपनी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी भी छोड़ दी। अवनीश के दिल के छेद अब भर चुके हैं और उसकी ज़िंदगी को खुशियों से भर रहे हैं आदित्य तिवारी।
रियल लाइफ के शानदार पिता की कहानी के बाद आइए अब आपको बताते हैं रील लाइफ के उन दमदार किरदारों के बारे में, जिन्होंने पिता का किरदार ऐसे निभाया कि वे इस रोल के पर्याय बन गए।
- बलराज साहनी
बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले, गाने में बेटी को विदा करते बलराज साहनी हों या फिर तुझे सूरज कहूं या चंदा गाते बलराज साहनी या फिर वक्त फिल्म में अपने बेटों पर नाज़ करते बलराज साहनी, उन्होंने पिता के किरदार को परदे पर कुछ यूं जिया कि उसे सजीव कर दिया। - आलोक नाथ
वहीं बात करें आलोक नाथ की तो अपने करियर की 140 फिल्मों में से 95 फीसदी फिल्मों में उन्होंने बाबूजी यानी पिताजी का किरदार निभाया है। यहां तक कि उन्हें संस्कारी बाबू जी का खिताब तक इन्हीं किरदारों की वजह से मिला। इनमें ख़ास हैं मैनें प्यार किया, विवाह, सीरीयल बिदाई आदि। - अमरीश पुरी
‘जा सिमरन जा, जी ले अपनी ज़िंदगी’ ये डायलॉग आज भी हर ज़ुबां पर है। वैसे तो अमरीश पुरी अपने हर किरदार में जान डाल देते थे, लेकिन दिलवाल दुलहनिया ले जाएंगे में पिता के नारियल जैसे रोल को उन्होंने बखूबी निभाया और इसी वजह से वो कहलाए ऑनस्क्रीन बेस्ट फादर। - अनुपम खेर
वैसे तो मिस्टर अनुपम खेर हर रोल में फिट बैठते हैं, पर बिगड़े हुए बच्चों के पिता को रोल हो या रईस बच्चों के पिता का, उसमें अनुपम बिल्कुल फिट बैठते हैं। रहना है तेरे दिल में, कुछ कुछ होता है, डैडी और कहो न प्यार है जैसी तमाम फिल्मों में उनके द्वारा निभाए पिता के रोल आज भी लोगों के ज़ेहन में ताज़ा हैं। - अमिताभ बच्चन
102 नॉट आउट में अपने ही बेटे को वृदधाश्रम भेजने वाले पिता का रोल हो या फिर पीकू में कॉनस्टिपेशन से परेशान पिता या मोहब्बतें में इश्क के खिलाफ पिता या फिर कभी खुशी कभी ग़म में अपने बेटे के प्यार से नाराज़ पिता, सदी के महानायक हर बार पिता के रोल में बिल्कुल फिट बैठे और पिक्चर हिट हुई। - आमिर खान
जब बात रील लाइफ के दमदार पापा की आती है तो उसमें नाम आता है मिस्टर परफैक्शनिस्ट आमिर खान का भी। जो अकेले हम अकेले तुम में अपने बेटे की परवरिश करते दिखे तो वहीं दंगल में अपनी बेटियों की हिम्मत बनकर उन्हें कामयाबी के शीर्ष पर पहुंचाने वाले पिता का रोल उन्होंने बखूबी निभाया। इस फिल्म का डायलॉग ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं क्या’ आज भी सुपरहिट है।
वैसे पापा और बच्चों के रिश्ते से कामयाब या सुपरहिट भला और क्या हो सकता है। पिता के साथ शरारतें करना, कभी उनसे डरना तो कभी ज़िद करना, हर पल उन्हें अपने करीब पाना, इससे प्यारा अहसास दुनिया में और क्या हो सकता है। तो आज टीम Unbiased India की तरफ से आप सभी को हैप्पी फादर्स डे।
पिता मान हैं, पिता शान हैं
उन्हीं से तो रोशन अपना जहान है।