चेहरे पर मंद मंद मुसकान और आंखों में खुशी लिए मेडल को चूमते मीराबाई चानू की तस्वीर ने हर भारतीय को गौरवान्वित कर दिया। इसी के साथ भारत का 21 सालों का वेटलिफ्टिंग में मेडल का सपना भी पूरा हुआ। जैसे ही मीराबाई चानू ने भारत के लिए 49 किग्रा. वर्ग की वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल हासिल किया, देश खुशी से झूम उठा और शुरु हुआ बधाईयों का सिलसिला। जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीराबाई चानू को फोन पर बधाई दी वहीं उनके माता- पिता और परिवार की आंखों से खुशी के आंसू बरस पड़े।
चानू की बालियां
वैसे इस दौरान चानू के कान की बालियां भी काफी सुर्खियां बटोर रही हैं।चानू की मां सेखोम ओंग्बी तोम्बी लीमा ने बताया कि उन्होंने ये बालियां 2016 में अपने ज़ेवर बेचकर चानू के लिए इस विश्वास के साथ बनवाए थे कि वो कोई न कोई मेडल देश के लिए ज़रुर जीतकर आएगी। लेकिन 2016 में उनका प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा, पर वो कहते हैं न कि जिसके पास हिम्मत की दौलत है, वो मंज़िल को ज़रुर हासिल कर लेता है, और देश की लाडली बन चुकी 26 साल की चानू ने वो कर दिखाया और आज वो हर भारतीय के चेहरे पर गर्व और मुसकान की वजह बनी हैं।
बचपन में बिनती थी लकड़ियां
आज की इस जीत के साथ मीराबाई चानू भारत के लिए मेडल जीतने वाली दूसरी वेटलिफ्टर बन गई हैं। इससे पहले सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने भारत के लिए कांस्य जीता था। 8 अगस्त 1994 को मणिपुर के नोंगपेक काकचिंग में जन्मी मीराबाई चानू तीरंदाज बनना चाहती थीं, लेकिन कक्षा 8 की उनकी एक किताब ने उनकी सोच को बदल दिया, जिसमें उन्होंने मशहूर वेटलिफ्टर कुंजरानी देवी के बारे में पढ़ा और तय किया कि उन्हें भी वेटलिफ्टर बनना है। वैसे हालातों ने उन्हें बचपन से ही वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग देनी शुरु कर दी थी। अपने साथ हमेशा शिवजी और हनुमान जी की मूर्तियां साथ रखने वाली चानू बचपन में जलावन के लिए लकड़ियां इकट्ठा किया करती थीं।
ऐसा रहा सफर
साल 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद लगातार बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर उन्होंने रियो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया। लेकिन यहां उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। क्लीन एंड जर्क के तीनों प्रयासों में वे भार नहीं उठा पाईं। लेकिन इसके बाद साल 2017 में अनाहेम में हुए विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में उनका प्रदर्शन शानदार रहा। यहां उन्होंने कुल 194 किलो वजन उठाया जो कि एक रिकॉर्ड था। साल 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स में चानू देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर लाईं। साल 2021 में मीराबाई चानू अकेली भारतीय वेटलिफ्टर हैं जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया और आज हर भारतवासी के लिए गर्व भरा मौका ले कर आई हैं मीराबाई चानू। अपनी जीत के बाद उन्होंने कहा कि पांच साल का इंतज़ार आज पूरा हुआ। मेरी जीत के साथ ही लड़कियां वेटलिफ्टिंग के क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित होंगी।