विषयों और वस्तुओं के प्रमुख पांच अंगों को पंचांग कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के ये पांच अंग हैं— तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण।
आचार्य राजेश के अनुसार, वैदिक पंचांग में इन्हीं पांच अंगों की जानकारी दी जाती है।
तिथि क्या है?
चंद्र रेखांक को सूर्य रेखांक से 12 अंश ऊपर जाने में जो समय लगता है, वही तिथि कहलाती है। एक मास में तीस तिथियां होती हैं और यह तिथियां दो पक्षों में विभाजित की जाती हैं। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा तो कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते हैं। 15 तिथियां हैं— प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा।
आज की तिथि : द्वितीया शाम 5:05 बजे तक, उपरान्त तृतीया तिथि
नक्षत्र क्या है?
आकाश मंडल में तारा समूह को नक्षत्र कहते हैं। कुल 27 नक्षत्र होते हैं और इन नक्षत्रों पर नौ ग्रहों का स्वामित्व होता है। 27 नक्षत्र हैं— अश्विन, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती।
आज का नक्षत्र : मृगशिरा नक्षत्र प्रात: 10:18 बजे तक, उपरांत आर्द्रा नक्षत्र
वार क्या है?
वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात दिन यानि वार होते हैं। ये सात वार ग्रहों के नाम पर ही रखे गए हैं- सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, रवि।
आज का वार : बुधवार
योग क्या है?
नक्षत्र की भांति योग भी 27 होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियां ही योग कहलाती हैं। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योग हैं— विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।
आज का योग : साध्य योग सुबह 11:43 बजे तक, उपरांत शुभ योग
करण क्या है?
हर तिथि में दो करण होते हैं। तिथि के पूर्वार्ध और उत्तरार्ध में। करण कुल 11 होते हैं। ये 11 करण हैं— बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा भी कहते हैं। भद्रा में शुभ कार्य वर्जित रहता है।
आज का करण : गर शाम 6:24 बजे तक, वणिज शेष रात्रि 5:42 बजे तक, उपरांत विष्टि और बव
श्री विक्रम संवत : 2077
ऋतु : हेमन्त
मास : मार्गशीर्ष
पक्ष : कृष्ण
आज का सूर्योदय : 6:44 बजे (काशी)
आज का सूर्यास्त : 5:16 बजे (काशी)
आज का दिशाशूल
उत्तर दिशा और ईशान कोण (उत्तर—पूर्व)
(दिशाशूल में यात्रा वर्जित होती है)
दिशाशूल का उपाय
यदि यात्रा अति आवश्यक हो तो हरा फल, तिल या धनिया खाकर पूर्व की ओर से यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। घर से निकलकर आंगन में तुलसी की परिक्रमा करें। तुलसी का पौधा नहीं है तो विघ्नहर्ता गणेश भगवान के मंदिर की परिक्रमा कर यात्रा प्रारंभ करें। इससे अशुभ प्रभाव दूर होगा। यात्रा में आने वाले संकट टल जाएंगे।
आज का राहुकाल
सुबह 11:47 बजे से दोपहर 1:07 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त
सुबह 11:25 बजे से दोपहर 12:06 बजे तक