घर पर बैठा मैं टीवी देख रहा था। हर चैनल पर सुशांत सिंह राजपूत से जुड़ी ख़बरों के बीच स्क्रीन पर ब्रेकिंग न्यूज़ फ्लैश हुई, - ‘लद्दाख में #LAC पर हिंसक झड़प, भारत के बीस जवान शहीद’। थोड़ी देर सन्न रह गया मैं, आखिर क्यों? तभी मेरी एक दोस्त के बेटे की बात याद आई। आजकल हर बात में वो कहता है कि ड्रैगन मुंह से आग निकालता है। उसकी इस बात का ख्याल आते ही मेरे दिमाग से पूरी तरह यह सवाल हट गया कि आखिर क्यों? जवाब यह है कि आप किसी पर कितने भी मेहरबान क्यों न हो जाएं, वह अपनी फितरत से बाज नहीं आ सकता। सांप को दूध पिलाएंगे तो पी लेगा, लेकिन जब भी उसका दिमाग घूमा, वो आप पर हमला करेगा ही। ड्रैगन के मुंह से आग बरसनी थी, सो बरस रही है।
सीमा पर बेहद गंभीर हैं हालात
भारत और चीन के बीच लद्दाख बॉर्डर पर गलवान घाटी के पास हालात बेहद गंभीर हैं। यहां हिंसक झड़प में हमारे 20 जवान शहीद हो गए। बस दुआ है कि इस संख्या के बढ़ने की ख़बर न आए। चीन के सिपाहियों के मारे जाने की भी ख़बरें आ रही हैं। ख़बरें ये भी आ रही हैं कि चीनी सैनिकों ने कीलें लगीं लठों से जवानों पर हमला किया है। बताया जा रहा है कि गलवान घाटी में सोमवार रात डि-एस्केलेशन की प्रक्रिया के दौरान भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई। लेकिन, चीन यहां भी चोरी ऊपर से सीनाजोरी वाली कहावत को चरितार्थ करता हुआ भारत पर ही आरोप लगा रहा है कि घुसपैठ की कोशिश इधर से की गई। इतना ही नहीं, चीन ये अपील भी कर रहा है कि भारत एकतरफा कार्रवाई न करे। मतलब चीन हमारे जवानों की जान ले ले लेकिन हम चुपचाप बैठे रहें?बीते एक महीने से चल रहे तनाव के बाद आज जो हुआ उसे देखकर तो नहीं लगता कि माहौल अभी इतनी जल्दी या आसानी से शांत हो पाएगा।
ये भी जानिए
- रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के घर पर बैठक हुई जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और विदेश मंत्री एस जयशंकर मौजूद रहे। बैठक में रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की। वहीं, विदेश मंत्री ने पीएस से मुलाकात की।
- इससे पहले साल 1967 में सिक्किम बॉर्डर पर इस तरह की झड़प हो चुकी है, जिसमें भारत के 88 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन के 340 सैनिक मारे गए थे।
- 1967 के बाद चीन ने 1975 में भारत पर हमला किया था, जिसमें चार भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, लेकिन चीन किसी भी तरह के हमले की बात से इनकार करता रहा।
- चीन की चिढ़ इस बात को लेकर है कि 1962 के बाद से भारत लगातार तरक्की कर रहा है।
- इसके अलावा कोरोना पर चीन की पोल खुलने के बाद से वह बौखलाहट में बेवकूफाना कदम उठाता जा रहा है।
- साल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने चीन यात्रा के दौरान एक समझौता किया था। इसमें 9 में से आठ बिंदुओं पर आम सहमति बनी थी।
- इस समझौते की ख़ास बात ये थी कि भारत-चीन सीमा विवाद को शांतिपूर्वक हल करने पर जोर दिया जाएगा। साथ ही कोई भी दूसरे पक्ष को बल या सेना प्रयोग की धमकी नहीं देगा। दोनों देशों की सैन्य गतिविधियां वास्तविक नियंत्रण रेखा से आगे नहीं बढ़ेंगी। अगर एक पक्ष के जवान इस नियंत्रण रेखा को पार करते हैं और दूसरी तरफ से उन्हें किसी तरह का संकेत मिलता है तो वे तुंरत वापस चले जाएंगे।
- इसके साथ ही इस समझौते के तहत यह भी तय हुआ कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कम से सैन्य बल रखा जाए। अगर संख्या बढ़ानी हो तो उसके लिए आपसी सलाह—मशवरे का रास्ता अपनाना होगा।
- भारत-चीन की LAC पर दोनों में से किसी भी तरफ से घुसपैठ न हो, इसके लिए तय हुआ कि दोनों देशों की एयरफोर्स सीमा क्रॉस नहीं करेगी।
समझौते के बावजूद चीन बार—बार कुछ न कुछ ऐसा करता है जिससे साबित होता है कि वह एक बुरा पड़ोसी है और इस बार तो उसने अपनी सारी हदें ही पार कर दीं। अब देखना ये है कि ड्रैगन के मुंह से निकलती इस आग को कैसे रोका जाता है।