गुरु कहें, शिक्षक कहें, सर कहें, मैडम कहें या फिर टीचर। अलग—अलग चेहरे हैं, अलग—अलग नाम हैं लेकिन सभी का काम एक, अपने शिष्य की ज़िंदगी में ज्ञान का दीप जलाना। उसे सही गलत की पहचान करना सिखाना और ये अहसास दिलाना कि शिक्षा और शिक्षक का साथ हमेशा उनके साथ है। तो आइए आपको बताते हैं कि आखिर 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस।

हमारे देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जो कि भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे, उनसे एक बार उनके छात्रों और दोस्तों ने पूछा कि हम आपका जन्मदिन मनाना चाहते हैं तो इस पर डॉ. राधाकृष्णन ने कहा कि मेरा जन्मदिन अलग तरीके से मनाने की जगह शिक्षक दिवस के रुप में मनाओगे तो मुझे गर्व महसूस होगा। बस तभी से पांच सितंबर को भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाने लगा।
अलग—अलग देशों में अलग—अलग दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जैसे-
चीन में- 10 सितंबर
अमेरिका- मई के पहले पूरे सप्ताह के मंगलवार
थाइलैंड- 16 जनवरी
चिली- 16 अक्टूबर (पहले 10 दिसंबर को मनाया जाता था)
तो वहीं यूनेस्को 5 अक्टूबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाता है।
आइए,
अब आपको डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के उन ख़ास विचारों से रुबरु कराते हैं जिन्होंने उन्हें बनाया बेहद ख़ास।
• ”ज्ञान के माध्यम से हमें शक्ति मिलती है। प्रेम के जरिये हमें परिपूर्णता मिलती है।”
• ”शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। अत: विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए।”
• ”शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।’
• ”किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है।”
• ”शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें।”