पितृ पक्ष अर्थात् पितरों को समर्पित पक्ष या पखवाड़ा। प्रतिवर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की 15 तिथियों को पितृ पक्ष या महालया के रूप में मनाया जाता है।
काशी के आचार्य श्री राजेश के अनुसार, इस बार पितृ पक्ष 1 सितंबर 2020 से प्रारंभ हो रहा है जो 17 सितंबर 2020 को पितृ विसर्जन के साथ संपन्न होगा। पितृ पक्ष में जो लोग रोज तर्पण देकर अमावस्या के दिन पितरों के लिए पिंड दान करते हैं वे 2 सितंबर से नित्य तर्पण प्रारंभ कर सकते हैं। परंतु जिनकी पितरों की तिथि पूर्णिमा के दिन पड़ती है और वे महालय श्राद्ध करते हैं, ऐसे व्यक्ति 1 सितंबर को ही पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध और तर्पण करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि 1 सितंबर को प्रातः 8:46 बजे के बाद से ही पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो रही है।
पूजा—पाठ वर्जित
पितृ पक्ष में पूजा-पाठ आदि शुभ कार्य प्रारंभ नहीं किया जाता है। इस पक्ष में जिन लोगों के माता—पिता नहीं हैं, वे अपने पितरों को तर्पण करते हैं और तिथि के दिन महालय श्राद्ध करते हैं।
पितृ पक्ष का महत्व
शास्त्र के अनुसार, जो व्यक्ति अपने स्वर्गवासी पितरों को इस पक्ष में आस्थावान रहकर नित्य तर्पण करते हैं और अमावस्या के दिन पितृ श्राद्ध करते हैं उन्हें सदा पितरों का आशीर्वाद मिलता रहता है। वे लोग पितृ श्राप और पितृ ऋण से मुक्त हो जाते हैं।यही नहीं, अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली पितृ दोष से श्रापित है तो पितृ दोष का दुष्प्रभाव समाप्त होकर शुभ फल देने लगता है और श्राद्ध कर्ता के कुल की वृद्धि होने लगती है। अन्न—धन की कमी नहीं होती। सुख—समृद्धि का सदा वास होने लगता है।