नवरात्रि के नौ दिनों में मॉं दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना होती है। आम तौर पर सिंह पर सवार होने वालीं मॉं दुर्गा नवरात्रि में दिन के हिसाब से अलग सवारी से आती हैं। यह दिन कलश स्थापना से तय होता है। जिस दिन कलश स्थापना होती है, मां उस दिन के हिसाब से सवारी का चयन करती हैं। मां किस सवारी से आ रही हैं, इससे तय होता है कि मां के आगमन का प्रभाव क्या होगा!
कैसे जानें किस वाहन से आ रहीं मां दुर्गा
निश्चित तौर पर मां के विशेष वाहन से आगमन का महत्व होता है और इसी से आगमन का फल भी निर्धारित होता है। किंतु, यह कैसे जानें कि मां किस नवरात्रि में किस वाहन से आ रही हैं। आचार्य राजेश बताते हैं कि यदि रविवार या सोमवार को कलश स्थापना होती है तो माता हाथी पर सवार होकर आती हैं। मंगलवार और शनिवार को कलश स्थापना होने पर माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार और शुक्रवार को कलश स्थापना हुई तो माता की सवारी डोली होती है। बुधवार को कलश स्थापित किए जाने पर माता नौका पर सवार होकर इस धरती पर अपने पावन कदम रखती हैं। चूंकि इस बार कलश स्थापना शनिवार को हो रहा है, अत: मां का वाहन घोड़ा है। तात्पर्य यह है कि इस बार माता रानी घोड़े पर सवार होकर धरती पर आ रही हैं।
घोड़े से मां का आना शुभ संकेत नहीं
कहा जाता है मां का धरती पर आगमन जिस सवारी से होता है, उसी के फलस्वरूप धरती के भविष्य का निरूपण किया जाता है। इस बार दुर्गा मां मां की सवारी घोड़ा होने के कारण शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है। आचार्य राजेश के अनुसार, इस वर्ष पड़ोसी देशों से युद्ध की आशंका बनी रहेगी। देश की सत्ता में उथल-पुथल मची रहेगी। धरती पर रोग और और शोक का वातावरण रहेगा। आंधी—तूफान की भी आशंका रहेगी।