यूं तो यह सवाल किसी परीक्षा में शायद ही पूछा जाए लेकिन क्या आपको पता है कि देश की राजधानी दिल्ली का सबसे बड़ा ड्रग्स माफिया कौन है? दिल्ली का ड्रग्स माफिया नंबर शराफत है। जी हां, शराफत सिर्फ नाम से शराफत है। वरना वह इतना कुख्यात है कि उसके जेल से बाहर आने के नाम पर ही क्राइम ब्रांच से लेकर नॉरकोटिक्स सेल तक के हाथ—पांव फूल जाते हैं। यही कारण है कि दिल्ली पुलिस ने तिहाड़ जेल में बंद ड्रग्स माफिया शराफत शेख की हिरासत की अवधि और एक साल बढ़वा दी है। शराफत शेख को 8 अगस्त 2020 उसके बेटे वसीम शेख के साथ मुंबई से पकड़ा गया था। तभी से वह तिहाड़ जेल में बंद है। इससे पहले कि वह जेल से बाहर यह ड्रग्स माफिया उड़ता पंजाब की तरह दिल्ली को भी उड़ती दिल्ली बना दे, मार्च 2021 तक उसकी हिरासत अवधि बढ़ा दी गई है।
आदतन अपराधी है शराफत शेख
शराफत शेख की हिरासत बढ़ाने की मंजूरी केंद्रीय एडवाइजरी बोर्ड ने प्रीवेंशन ऑफ इल्लिसिट ट्रैफिक इन नारकोटिक्स ड्रग ऐंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट-1988 (पीआईटीएनडीपीएस एक्ट) के तहत दी है। इस बारे में डीसीपी चिन्मय विश्वाल बताते हैं कि शराफत शेख एनडीपीएस एक्ट 1985 से जुड़ा आदतन अपराधी है। वह जेल से बाहर आया तो राजधानी में ड्रग्स डीलिंग बढ़ सकती है। ऐसे में उसकी हिरासत अवधि बढ़ाने के लिए पीआईटीएनडीपीएस एक्ट के तहत दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की नारकोटिक्स सेल ने केंद्र सरकार के पीआईटीएनडीपीएस डिविजन को एक प्रस्ताव भेजा था। दो अप्रैल को इस बारे में आदेश जारी कर दिया गया। शेख को दो अप्रैल से आगे एक वर्ष तक अब हिरासत में रखा जा सकता है।
पूरा परिवार ही ड्रग्स डीलर
ड्रग्स की तस्करी शराफत के लिए एक तरह से घरेलू काम है। शराफत का पूरा परिवार ही नशीले पदार्थों की तस्करी में लिप्त है। शराफत पर एनडीपीएस एक्ट के पांच मामलों सहित 36 आपराधिक मामले दर्ज हैं तो वहीं उसके घर के बाकी सदस्य भी कम नहीं हैं। उन पर भी कई मामले चल रहे हैं।
जेल ने बदल दी ज़िंदगी की राह
कहा जाता है कि जेल अपराधी को दंडित करने और उसे सुधारने के लिए भेजा जाता है। लेकिन, यदि अधिकतर अपराधियों का इतिहास देखा जाए तो वे सबसे अधिक खतरनाक तब हुए जब वे जेल से लौटे क्योंकि जेल में ही उन्हें अपराधियों से जान—पहचान होती है। शराफत शेख भी कभी साधारण युवक था। शराफत गरीब परिवार से था, इस कारण अधिक पढ़—लिख नहीं सका। पांचवीं तक ही शराफत ने पढ़ाई की। पुलिस के सूत्र बताते हैं कि 1977 में शराफत ने गाजियाबाद के एक ढाबे पर काम करना शुरू किया था। यहां उसने छह महीने तक काम किया था और किसी कारणवश छोड़ दिया। इसके बाद शराफत नई दिल्ली के मीना बाजार में चला गया और वहां एक दुकान पर काम करने लगा। लेकिन, इसी दौरान शराफत, शरीफों की जगह बदमाशों की संगति में आ गया। शराफत को दिल्ली पुलिस ने पहली बार 1986 में एक मामले में गिरफ्तार किया। बताया जाता है कि जेल में उसकी मुलाकात ईनायत नाम के ड्रग तस्कर से हुई। ईनायत की ऐसी ईनायत हुई कि शराफत की बची—खुची शराफत भी चली गई और वह जेल से बाहर आने के बाद फुल टाइमर क्रिमिनल बन गया। शराफत ने पहले ड्रग्स की छोटी—मोटी तस्करी की और उसके बाद खेप बढ़ती चली गई। ड्रग्स की तस्करी की खेप बढ़ने के साथ ही अपराध की दुनिया में शराफत का कदम बढ़ता चला गया और एक दिन शराफत दिल्ली की ड्रग्स दुनिया का सबसे बड़ा बदमाश बन बैठा। इतना बड़ा कि दिल्ली पुलिस उससे इतनी तंग—ओ—तबाह है कि वह चाहती नहीं शराफत कभी जेल से बाहर आए।