पहली फिल्म जंगली, पहले किरदार का नाम राजकुमारी और जब परदे पर वे ‘जा जा जा मेरे बचपन, कहीं जा के छुप नादान’ गाती हुई नज़र आईं, तो उनके मासूम चेहरे और दिलकश अदाओं ने उन्हें लाखों जागती आंखों के ख्वाब की राजकुमारी बना दिया। बॉलीवुड की ब्यूटी क्वीन सायरा बानो आज अपना 76वां जन्मदिन मना रही हैं।
सायरा की ज़िंदगी के कुछ पन्ने ऐसे हैं जो किसी ख्वाब जैसे ही हैं। तो आइए आपको उन पन्नों से रुबरु कराते हैं।
बहुत कम लोग जानते हैं कि सायरा बानो अपने ज़माने की पहली महिला सुपरस्टार नसीम बानो की बेटी हैं। नसीम बानो को परी का चेहरा और ब्यूटी क्वीन कहकर पुकारा जाता था। लेकिन जब सायरा फिल्मों में आईं तो उनकी खूबसूरती देखकर लोग कहने लगे कि ब्यूटी क्वीन की बेटी भी ब्यूटी क्वीन है। सायरा बानो की नानी शमशाद बेगम दिल्ली की मशहूर गायिका थीं।
1959 में सायरा बानो ने सुबोध मुखर्जी की फिल्म ‘जंगली’ से अपने करियर की शुरुआत की। अपनी पहली ही फिल्म के लिए उन्हें न सिर्फ दर्शकों का भरपूर प्यार मिला बल्कि फिल्मफेयर में बेस्ट एक्ट्रेस के लिए भी वो नॉमिनेट हुईं।
सायरा बानो बचपन से दिलीप कुमार को बहुत पसंद करती थीं। लेकिन 60 के दशक में उन्होंने जुबली कुमार यानी राजेंद्र कुमार के साथ काम करना शुरु किया और वो उन्हें काफी पसंद करने लगीं। ये बात जब सायरा बानो की मां को पता चली तो उन्होंने दिलीप कुमार से मदद मांगी। जब दिलीप कुमार सायरा बानो को समझाने गए कि राजेंद्र कुमार शादीशुदा और तीन बच्चों के पिता हैं, तो सायरा ने उनसे सवाल किया कि क्या वे उनसे शादी करेंगे। इस पर दिलीप साहब बिना कुछ बोले वहां से चले आए।
सायरा बानो दिलीप साहब के इश्क में इस कदर गिरफ्तार थीं कि उन्होंने उनके लिए उर्दू और पर्शियन तक सीखी। आखिरकार सायरा के सच्चे इश्क की जीत हुई और 11 अक्टूबर 1966 को दोनों ने शादी कर ली।
शादी के बाद भी सायरा बानो लगातार काम करती रहीं, जिसकी वजह से उन्होंने जन्म के साथ ही अपने बच्चे को खो दिया। इस हादसे के बाद दिलीप साहब टूट से गए थे। इसी दौरान इन दोनों के बीच अस्मा नाम की महिला आई। कहा जाता है कि औलाद की ख्वाहिश दिलीप साहब अस्मा के ज़रिए पूरी करना चाहते थे और उन दोनों ने शादी भी कर ली थी। लेकिन तीन साल साथ रहने के बाद दिलीप साहब उससे अलग हो गए और उन्होंने कभी दूसरी शादी की बात नहीं मानी।
सायरा बानो से बीबीसी के एक पत्रकार ने जब ये पूछा कि सुना है कि आप आज भी दिलीप साहब की नज़र उतारती हैं तो उन्होंने कहा कि हां, पहले उनकी दादी और अम्मी उनकी नज़र उतारती थीं क्योंकि वो बचपन से ही बेहद खूबसूरत थे इसलिए उन्हें बहुत जल्दी नज़र लग जाती थी। और आज भी वे वैसे ही खूबसूरत हैं, इसलिए मैं उनका सदका करती हूं और गरीबों को अनाज, कपड़े और ज़रूरत के सामान दे देती हूं।
सायरा बानो कदम दर कदम दिलीप साहब का हाथ थामे आगे बढ़ती रहीं। उन्होंने कभी भी उनका साथ नहीं छोड़ा। आज जब दिलीप साहब अल्जाइमर की वजह से बहुत कुछ भूल चुके हैं तब भी वे नहीं भूले तो सिर्फ अपनी सायरा को।
सायरा बानो सोशल सर्विस भी पूरे दिल से करती हैं। वेल्फेयर आर्गेनाइजेशन फॉर रिलीफ एंड केयर सर्विसेस के तहत सायरा पूरे दिल से समाज के लिए जितना कर सकती हैं, किए जा रही हैं।
बॉलीवुड की एवरग्रीन ब्यूटी क्वीन को TEAM UNBIASED INDIA और इसके पाठकों की तरफ से जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं।