कोई उनसे पूछता कि तुम्हारा नाम क्या है, तो वे कहते रशोकी रमाकु। वे बहुत बड़े सितारा थे, लेकिन खंडवा के दूध जलेबी, पोहे और दही बड़े के नाम पर ही एक छोटे से बच्चे बन जाते थे। वे एक्टर नहीं बनना चाहते थे, पर जब उन्होंने एक्टिंग की तो लोग उनके दीवाने हो गए। उन्होंने किसी से संगीत सीखा नहीं था, पर जब उन्होंने गाया तो सभी उनके मुरीद हो गए। वे अक्सर कहा करते थे, दुनिया मुझे पागल कहती है और मैं दुनिया को। दुनिया में होकर भी दुनिया से अलग थे आभास। आभास से हमारा मतलब किशोर कुमार। जी हां, 4 अगस्त 1929 को जन्मे उसी किशोर दा की आज जयंती है।
… तो आइए आज किशोर दा के जन्मदिन पर उनकी ज़िंदगी के कुछ ख़ास पन्नों को आपके साथ साझा किया जाए।
खंडवा के आभास कुमार गांगुली जब मायानगरी मुंबई पहुंचे तो उन्होंने अपना नाम किशोर कुमार रख लिया। उन्होंने सबसे पहले 1946 में आई फिल्म शिकारी में काम किया। इस फिल्म में लीड रोल में उनके बड़े भाई अशोक कुमार थे। कहते हैं कि बचपन में किशोर कुमार बहुत ही बेसुरे थे। लेकिन एक दिन उनका पैर सब्जी काटने वाली दराती पर पड़ गया, जिसके बाद दर्द से वे तीन दिन तक रोते रहे और उनका गला साफ हो गया। एक बार एक इंटरव्यू के दौरान एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि आप मुंबई में अकेलापन महसूस नहीं करते? इस पर किशोर दा ने जवाब दिया, ‘नहीं, मुझे बिल्कुल अकेला नहीं लगता। मैंने अपने घर में लगे इन पेड़-पौधों से दोस्ती कर ली है। उनके नाम रखे हैं। मैं इनसे ही बातें करता हूं।’ उनके इस जवाब को सुनने के बाद उस मैगज़ीन ने उन्हें मैड मैन करार दे दिया। किशोर दा केएल सहगल के बहुत बड़े फैन थे और वे उन्हीं की तरह गाना चाहते थे, लेकिन उनके बड़े भाई अशोक कुमार जो कि तब तक बॉलीवुड का एक बड़ा नाम बन चुके थे, उन्होंने किशोर दा को एक्टिंग करने को कहा। किशोर दा की ज़िंदगी में एक दौर ऐसा भी आया जब उनके पास फिल्मों में बिल्कुल काम नहीं था। उन्हें इनकम टैक्स का कुछ बकाया भी चुकाना था, जिसके लिए वे स्टेज शो कर रहे थे। उनके इस दौर में उनके पास एसडी बर्मन पहुंचे और उन्होंने कहा कि एक छोटा सा प्रोजेक्ट है, चल साथ मिलकर करते हैं। किशोर दा राज़ी हो गए। फिल्म थी आराधना और इसका हर एक गाना सुपर डुपर हिट हुआ और उनके पास दोबारा काम का ढेर लग गया। किशोर दा ने 1940 से 1980 के बीच करीब 574 गाने गाए। न सिर्फ हिंदी बल्कि तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़ीया फिल्मों के लिए भी। देवानंद, अमिताभ बच्चन और काका यानी राजेश खन्ना को सुपरस्टार के खिताब तक पहुंचाने में किशोर दा के गीतों का भी ख़ासा योगदान रहा। बहुत कम लोग जानते हैं कि 1975 में इमरजेंसी के दौरान कांग्रेस की तरफ से किशोर दा को इंदिरा गांधी के लिए गाना गाने को कहा गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। जिससे नाराज़ कांग्रेस ने किशोर कुमार के गानों पर तीन साल के लिए बैन लगा दिया। कहते हैं अमिताभ बच्चन और जया बच्चन की फिल्म अभिमान किशोर कुमार की ज़िंदगी की कहानी थी। दरअसल किशोर कुमार की पहली पत्नी रोमा गुहा सिंगर बनना चाहती थीं, लेकिन किशोर दा चाहते थे कि वे घर संभालें। इसी बात पर दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि एक बेटा होने के बावजूद दोनों अलग हो गए। रोमा गुहा के बाद किशोर कुमार की ज़िंदगी में मधुबाला आईं जिनके दिल में छेद था। पर दोनों का प्यार इस कदर परवान चढ़ चुका था कि दोनों ने शादी करने का फैसला किया। जहां किशोर दा शादी से पहले उनका इलाज कराना चाहते थे तो वहीं मधुबाला इलाज से पहले शादी। ये बात जैसे ही किशोर दा को पता चली उन्होंने मधुबाला से शादी की और उन्हें लेकर लंदन चले गए। पर तमाम कोशिशों के बावजूद मधुबाला को बचाया नहीं जा सका। मधुबाला के जाने के बाद किशोर दा बेहद अकेले हो गए थे और तब उनकी ज़िंदगी में आईं योगिता बाली। लेकिन ये रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चल सका क्योंकि योगिता बाली और मिथुन चक्रबर्ती एक दूसरे के काफी करीब आ गए थे। किशोर दा से अलग होने के बाद मिथुन और योगिता बाली ने शादी कर ली। किशोर दा की ज़िंदगी में लीना चंद्रावरकर के आने का किस्सा बेहद अलग है। किशोर दा, लीना से 21 साल बड़े थे। जहां किशोर कुमार की तीन शादियां हो चुकी थीं वहीं लीना विधवा थीं। लीना के पिता नहीं चाहते थे कि वे दोनों शादी करें, लेकिन अपने पिता के विरुद्ध जाकर उन्होंने शादी कर ली। अशोक कुमार के 76वें जन्मदिन के जश्न के दौरान किशोर दा को दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। उनकी इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार खंडवा में ही किया जाए और ऐसा ही किया गया। खंडवा में जन्मे किशोर कुमार एक मस्तमौला इंसान थे। वो कहते हैं न कि इंसान चाहता कुछ है और होता कुछ। पर किशोर कुमार की ज़िंदगी का अंदाज़ कुछ ऐसा मानो वो कहते कुछ थे, सोचते कुछ और करते कुछ और उनके साथ हो कुछ और जाता था। अब इसी कुछ—कुछ में कामयाबी और लोकप्रियता की बहुत बड़ी लिस्ट बन गई। किशोर दा के एक गाने की लाइन है, ‘इस कदर प्यार तो कोई करता नहीं, मरने वालों के साथ कोई मरता नहीं’, ये बात बिल्कुल सच है , पर एक सच ये भी है कि कलाकार कभी नहीं मरते। किशोर दा! आपके गीत, आपके किरदार आपको हमेशा हमारे बीच ज़िंदा रखेंगे। Unbiased India की पूरी टीम की तरफ से हरफनमौला किशोर दा को हैप्पी वाला बर्थडे।