जैविक खेती बोले तो सेहत, स्वाद और समृद्धि की खेती | ORGANIC FARMING

वैज्ञानिक पद्ध​ति से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से किसानों ने पैदावार का अधिक उत्पादन तो जरूर सीख लिया लेकिन इसके बाद भी उनके सामने अपनी फसल के सही दाम मिलने का संकट बरकरार है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि धीरे—धीरे आम लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी सचेत हुए हैं और वे रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से तैयार अनाज को खाद्य के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं। क्योंकि रसायनों के इस्तेमाल से तैयार अनाज के दुष्प्रभाव भी हैं। मांग कम और उत्पादन​ अधिक होने से रासायनिक उर्वरकों से तैयार फसल के दाम कम मिलते हैं। वहीं, जैविक खेती से उपजे अनाज स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर होते हैं, जिससे इनकी काफी मांग काफी बढ़ी है। इसलिए इनका अच्छा—खासा मूल्य भी मिलता है। दरअसल, जैविक खेती की ही उपज इन दिनों आर्गेनिक प्रोडक्ट्स के रूप में मार्केट में मौजूद है, जो करीब दोगुनी दर पर बिकती है। ऐसे में हम देख रहे हैं कि जैविक खेती किसानों की आय के साथ—साथ आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी बढ़िया है।

जैविक खेती क्या है? जैविक खेती कैसे करते हैं?

जैविक खेती वह खेती होती है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता है। इस तरह की खेती में सिर्फ जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है। इतना ही नहीं, जैविक खेती के लिए कीटनाशक भी पारंपरिक तरीके से ही तैयार किया जाता है। जैविक खेती करने वाले किसान ऑर्गेनिक खाद और जैविक इनसेक्टीसाइट यानि कीटनाशक का ही उपयोग करते हैं। यहां तक कि पशु पालन, मुर्गी पालन और डेयरी फार्म भी जैविक खेती में ही माने जाते हैं, यदि इनमें किसी तरह तरह के रसायनों या हार्मोन्स का उपयोग नहीं किया गया हो।

आर्गेनिक प्रोडक्ट क्या हैं? जैविक उत्पाद किसे कहते हैं?

जैविक खेती से जो फसल तैयार होती है, वह जब बाजार में पहुंचती है तो वही आर्गेनिक प्रोडक्ट या जैविक उत्पाद के नाम से जानी जाती है। यह वह उत्पाद है, जिसके उत्पादन में रासायनिक उर्वरक की जगह जैविक खाद यानि गोबर आदि का इस्तेमाल किया गया होता है। इसके उत्पादन में किसी भी तरह के रसायन का प्रयोग नहीं किए जाने से इसके उत्पाद का दुष्प्रभाव निम्नतम होता है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से सबसे बेहतर है। इस कारण आर्गेनिक प्रोडक्ट की मांग ज्यादा है और इसी कारण इसका मूल्य भी ज्यादा होता है। अब तो आर्गेनिक ग्रोफर्स, बिग बाजार जैसी बड़ी कंपनियां किसानों से लंबे समय के लिए करार कर उनके खेत से ही जैविक उत्पाद ले रही हैं। इससे किसानों के सामने बाजार का भी संकट नहीं है। यही नहीं, छोटे​ किसान तो सोशल मीडिया के सहारे ही अपना उत्पाद बेच सकते हैं। यदि खेती करने के साथ ही इसके प्रतिदिन के अपडेट सोशल मीडिया पर दिए जाएं तो लोगों को यकीन होता है कि इस फसल में रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल नहीं हुआ है और यह बेहद शुद्ध है। ऐसे में लोग सोशल मीडिया पर ही इस उत्पाद के लिए संपर्क करते हैं और अधिक दाम देकर हासिल करते हैं। शहरों में तो रासायनिक उर्वरक के इस्तेमाल से की गई खेती के उत्पाद के दुष्प्रभाव को लेकर लोगों इस कदर जागरूता है कि कितने ही लोग अपने घर की छतों पर अपने लिए खुद ही जैविक खेती करते हैं।

जैविक खेती के फायदे क्या हैं?

जैविक खेती, ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ किसान को उपज के अधिक दाम ही दिला रही है; इससे दूरगामी लाभ भी है। यदि किसान की जमीन अपनी है तो वह चाहता है कि उसकी उर्वरा शक्ति हमेशा बरकरार रहे। इसमें जैविक खेती कारगर है। जैविक खेती से फसल विविधता (क्रॉप डाइवर्सिटी) को भी बढ़ावा मिलता है।

आइए, जैविक खेती के लाभ को प्वॉइन्ट में समझते हैं

  • वातावरण अच्छा रहता है। यानि इस खेती से हवा, पानी और मिट्टी प्रदूषित नहीं होता और पहले से मौजूद प्रदूषण कम होता है।
  • रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के कारण भूजल या ग्राउंड वाटर पर भी गलत असर हो रहा है। जैविक खेती से भूजल का प्रदूषण भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  • रासायनिक कीटनाशक फसलों को तो कीटों से बचाते हैं लेकिन बाद में यही अन्न खाने पर स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इनके लंबे समय तक प्रयोग से कैंसर व अन्य बीमारियां तक हो सकती है। ऐसे में जैविक खेती किसान ही नहीं, देश—समाज के हित में भी है।
  • जैविक खाद से खेत के सूक्ष्म जीवों और वनस्पतियों को प्रोत्साहन मिलता है। इससे मिट्टी की संरचना में सुधार होता है।
  • रासायनिक उर्वरक महंगे होते हैं, इस कारण खेती की लागत बढ़ जााती है। जबकि जैविक खाद और जैविक कीटनाशक खुद तैयार किया जा सकता है। इसमें इस्तेमाल होने वाले अधिकतर सामान किसान के पास पहले से मौजूद होता है।
  • जैविक खेती की पैदावार की अच्छी कीमत मिलती है।
  • जैविक उत्पाद के लिए बाजार का कोई संकट नहीं है।

जैविक खेती के लिए क्या करें? जैविक खेती की शुरुआत कैसे करें?

कुछ किसान अभी भी जैविक खेती के तौर—तरीके और इसके लाभ से अनजान हैं। ऐसे में वे जैविक खेती के लाभ जानने के बाद इसे करना चाहें तो यहां जान सकते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे करें। जैविक खेती के लिए सबसे पहले मिट्टी की जांच कराएं। मिट्टी की जांच किसी भी कृषि विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला या निजी लैब में भी हो जाती है। इस जांच में मिट्टी की स्थिति पता चलती है। इससे यह अंदाजा लगाना आसान होता है कि मिट्टी को कितनी मात्रा में जैविक खाद और जैविक कीटनाशक की जरुरत है।

जैविक खाद क्या है? जैविक खाद कैसे तैयार करें?

जैविक तरीके से तैयार खाद ही जैविक खाद कही जाती है और इसके इस्तेमाल से होने वाली खेती जैविक खेती होती है। जैविक खेती में जो सबसे अधिक श्रम का काम जैविक खाद तैयार करना ही है। रासायनिक उर्वरकों को बाजार से तुरंत खरीदकर खेत में डाल देना होता है जबकि जैविक खाद को तैयार करने में काफी समय लगता है, जिसके लिए श्रम और धैर्य दोनों की जरूरत होती है। यही कारण है कि ​श्रम से बचने वाले किसान जैविक खेती से भी बचते हैं। क्योंकि, इस खेती में खाद तैयार करना एक अतिरिक्त काम है। लेकिन, यदि इसके फायदों को देखते हुए यह श्रम इतना भी अधिक नहीं है। फसल के अवशेष, पशुओं के मल-मूत्र को डिस्पोज कर कार्बनिक पदार्थ बनाया जाता है। वेस्ट डिस्पोजर की सहायता से नब्बे से एक सौ 80 दिन में जैविक खाद बन जाती है। जैविक खाद में भी कई प्रकार की खाद होती है, जैसे— गोबर की खाद, हरी खाद। इसमें गोबर गैस भी शामिल है।

इंडिया आर्गेनिक क्या है? यह सर्टिफिकेट हो तो मजा आ जाए

आज प्राय: सभी किसानों के पास स्मार्ट फोन है, जिसमें हर तरह की जानकारी उपलब्ध है। इसके बावजूद भी यदि वे इस जानकारी को हासिल नहीं करते हैं या इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं तो इसका बड़ा कारण है कि वे पारंपरिक पेशे के रूप में खेती तो कर रहे हैं लेकिन उनके अंदर खेती करने की रुचि नहीं है। यदि रुचि हो तो खेती से जुड़े सभी पक्षों पर काम कर अच्छा मुनाफा कमाना कोई मुश्किल काम नहीं है। बात जैविक खेती की ही करें तो इसके उत्पाद को यदि प्रमाण पत्र मिल जाए तो इसे आसानी से बाजार भी हासिल होगा और अच्छा दाम भी। जैविक उत्पादों के लिए इंडिया आर्गेनिक नाम से सर्टिफिकेशन योजना बनी हुई है। इसके जरिए यह प्रमाणित किया जाता है कि जैविक उत्पाद मानक के अनुरुप हैं। यह प्रमाणपत्र उन किसानों को दिया जाता है जो जैविक खेती के जरिए फसल उपजाते हैं। किसानों को यह प्रमाणपत्रत्र एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी के मान्यता प्राप्त केंद्र द्वारा फसल की जांच के बाद जारी किया जाता है।

जैविक खेती पर हमारा यह आर्टिकल आपको कैसा लगा? जरुर लिखें। इसके साथ ही यदि आप खेती—किसानी से जुड़़ी कुछ अन्य जानकारी चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में लिखें। हम आगे के लेख में आपको वह जानकारी मुहैया कराएंगे। बेहद खास जानने के लिए पढ़ते रहिए UNBIASED INDIA.

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